Paramparagat Krishi Vikas Yojana

Paramparagat Krishi Vikas Yojana

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। पिछले कुछ दशकों में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग न केवल भूमि की उर्वरता को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी खतरा बन चुका है। ऐसे समय में, परंपरागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana) एक जरूरी और सकारात्मक कदम है, जो किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करती है।

परंपरागत कृषि विकास योजना क्या है

परंपरागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana) की शुरुआत भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 में की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक और जैविक खेती को बढ़ावा देना है, जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसके अंतर्गत किसानों को जैविक खेती की विधियों के बारे में प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता और प्रमाणीकरण की सुविधा दी जाती है ताकि वे बाजार में जैविक उत्पादों को अच्छे दाम पर बेच सकें।

परंपरागत कृषि विकास योजना के प्रमुख उद्देश्य

PKVY योजना का उद्देश्य केवल रासायनिक मुक्त खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समग्र रूप से कृषि को सतत और लाभकारी बनाने पर केंद्रित है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित मुख्य उद्देश्य शामिल हैं:

  • पारंपरिक और जैविक खेती को पुनर्जीवित करना
  • मिट्टी की उर्वरता और जैव विविधता को बनाए रखना
  • किसानों की आय में वृद्धि करना
  • पर्यावरण और जलवायु संतुलन को सुरक्षित रखना
  • उपभोक्ताओं को सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराना

परंपरागत कृषि विकास योजना की मुख्य विशेषताएँ

परंपरागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana) की प्रमुख विशेषताओं में सामूहिक खेती को बढ़ावा देना शामिल है। इस योजना के अंतर्गत किसानों के समूहों (कम से कम 20 किसान) को 50 एकड़ क्षेत्र में जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। सरकार प्रत्येक किसान को तीन वर्षों के लिए प्रति हेक्टेयर ₹50,000 तक की वित्तीय सहायता देती है। इस राशि का उपयोग जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट, बायो-पेस्टीसाइड्स, प्रशिक्षण, प्रमाणीकरण, और ब्रांडिंग में किया जाता है।

इस योजना की एक और विशेष बात यह है कि इसमें केवल व्यक्तिगत किसानों ही नहीं, बल्कि किसान उत्पादक संगठन (FPO), स्वयं सहायता समूह (SHG) और गैर-सरकारी संगठनों (NGO) को भी भाग लेने का अवसर मिलता है।

पात्रता और आवश्यक शर्तें

PKVY योजना में भाग लेने के लिए निम्नलिखित शर्तें लागू होती हैं:

  • आवेदक भारत का नागरिक और किसान होना चाहिए
  • किसान को जैविक खेती अपनाने के लिए तैयार होना चाहिए
  • समूह में कम से कम 20 किसान होने चाहिए
  • प्रत्येक समूह को 50 एकड़ भूमि पर जैविक खेती करनी होती है
  • समूह को राज्य कृषि विभाग द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक होता है

परंपरागत कृषि विकास योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया

PKVY योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया सरल और पारदर्शी है। किसान अपने जिले के कृषि विभाग से संपर्क करके योजना की जानकारी ले सकते हैं या राज्य सरकार की आधिकारिक कृषि वेबसाइट पर जाकर आवेदन फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं। आवेदन पत्र को सही ढंग से भरकर संबंधित कृषि कार्यालय में आवश्यक दस्तावेजों के साथ जमा करना होता है। इसके बाद अधिकारी भूमि का निरीक्षण करते हैं और स्वीकृति के बाद योजना के अंतर्गत लाभ प्रदान किए जाते हैं।

योजना से होने वाले लाभ

PKVY योजना किसानों को कई प्रकार के लाभ प्रदान करती है, जिनमें प्रमुख हैं:

  • जैविक इनपुट्स (खाद, कीटनाशक, बीज) के लिए आर्थिक सहायता
  • जैविक प्रमाणीकरण (PGS प्रणाली के अंतर्गत)
  • उत्पादों के विपणन और ब्रांडिंग में सहायता
  • फसलों की गुणवत्ता में सुधार और बाजार में ऊंची कीमत मिलना
  • रासायनिक उत्पादों पर निर्भरता में कमी
  • पर्यावरण और स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित खेती प्रणाली

किसानों की आय में वृद्धि

कई राज्यों में परंपरागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana) को अपनाने वाले किसानों ने बताया कि जैविक खेती से उनके उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर हुई है। जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण उन्हें पारंपरिक उत्पादों की तुलना में अधिक मूल्य प्राप्त होता है। साथ ही, रासायनिक खाद और कीटनाशकों की लागत से बचत भी होती है। परिणामस्वरूप, उनकी कुल आय में वृद्धि दर्ज की गई है।

चुनौतियाँ और समाधान

हालांकि इस योजना के कई लाभ हैं, फिर भी किसानों को शुरुआत में जैविक खेती में बदलाव लाने में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे उत्पादकता में अस्थायी गिरावट, बाजार की जानकारी की कमी, और प्रमाणन की प्रक्रिया का तकनीकी पक्ष। सरकार इन चुनौतियों के समाधान के लिए लगातार प्रशिक्षण, प्रचार-प्रसार और तकनीकी सहायता प्रदान कर रही है।

निष्कर्ष

परंपरागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana) भारतीय कृषि व्यवस्था में स्थायित्व लाने और किसानों की आजीविका को बेहतर बनाने की दिशा में एक मजबूत पहल है। यह योजना न केवल किसानों को रासायनिक खेती से मुक्त करती है, बल्कि उन्हें एक नई, स्वच्छ, और लाभकारी खेती प्रणाली की ओर ले जाती है। यदि आप एक किसान हैं और पर्यावरण के अनुकूल, स्वास्थ्यवर्धक खेती अपनाना चाहते हैं, तो PKVY आपके लिए सुनहरा अवसर है।